भारत का नया कर प्रणाली: फरवरी 2025 में हुए बड़े बदलाव
भारत सरकार ने फरवरी 2025 में नए कर सुधारों की घोषणा की, जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। यह नया कर ढांचा आम नागरिकों, व्यापारियों, और कंपनियों के लिए कई मायनों में राहत और नई संभावनाएं लेकर आया है। इस लेख में हम नए कर ढांचे की विशेषताओं, इसके प्रभाव, चुनौतियों और संभावित लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. new tax regime 2025 (व्यक्तिगत करदाता)
सरकार ने व्यक्तिगत आयकर दायरे में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं ताकि मध्यम वर्ग को अधिक वित्तीय राहत दी जा सके और करदाताओं को सरल कर ढांचा उपलब्ध कराया जा सके।
नई आयकर दरें:(बजट 2025 इनकम टैक्स स्लैब)
आय सीमा (रुपये में) | कर दर (%) |
---|---|
0 - 3 लाख | 0% (कोई कर नहीं) |
3 - 7 लाख | 5% |
7 - 10 लाख | 10% |
10 - 12 लाख | 15% |
12 - 15 लाख | 20% |
15 लाख से अधिक | 30% |
मुख्य बिंदु:
कर मुक्त आय सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12.8 लाख रुपये कर दिया गया है।
वरिष्ठ नागरिकों को अतिरिक्त छूट मिलेगी, जिससे उनकी कर देनदारी में कमी आएगी।
सरकार ने कर रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को भी सरल बनाया है।
2. कॉरपोरेट टैक्स में बदलाव
नए बजट के अनुसार, कंपनियों को भी कर सुधारों का लाभ मिलेगा।
छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए कर दर को 25% से घटाकर 22% कर दिया गया है।
नए स्टार्टअप्स के लिए कर में छूट की अवधि को 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है।
बड़ी कंपनियों के लिए कर दर 30% बनी हुई है, लेकिन नई विनिर्माण कंपनियों के लिए यह 15% रखी गई है।
इन बदलावों से स्टार्टअप्स और उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा और नए निवेश को आकर्षित करने में सहायता मिलेगी।
3. अप्रत्यक्ष करों में संशोधन (GST और कस्टम ड्यूटी)
सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) के ढांचे को सरल बनाया है और व्यापारियों को राहत देने के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए हैं।
GST स्लैब को घटाकर 4 मुख्य दरों (5%, 12%, 18%, और 28%) तक सीमित कर दिया गया है।
कई आवश्यक वस्तुओं पर GST की दर को 5% या उससे कम कर दिया गया है।
कस्टम ड्यूटी में कमी की गई है, जिससे आयातित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और कच्चे माल सस्ते हो सकते हैं।
इन उपायों से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
4. निवेश और बचत योजनाओं में बदलाव
नई कर नीति(tax slab 2025) के तहत, सरकार ने बचत योजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ प्रमुख बदलाव किए हैं:
पीपीएफ (PPF) और एनपीएस (NPS) में निवेश करने पर अधिक कर छूट मिलेगी।
नई टैक्स प्रणाली के तहत, 80C, 80D और 80E जैसी छूटों को कुछ संशोधनों के साथ जारी रखा गया है।
म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार निवेशकों के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है।
यह नए बदलाव बचत को प्रोत्साहित करेंगे और निवेशकों को अधिक अवसर प्रदान करेंगे।
5. कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में कर सुधार
सरकार ने कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण कर प्रोत्साहन प्रदान किए हैं।
किसानों के लिए सब्सिडी वाले ऋण की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है।
कृषि उपकरणों और खाद पर GST दरों में कटौती की गई है।
नए कृषि स्टार्टअप्स को 5 साल तक कर छूट दी जाएगी।
इससे कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
6. वित्तीय घाटा और आर्थिक प्रभाव
new tax regime 2025 लागू होने से सरकार के राजस्व में बदलाव देखने को मिलेगा।
वित्तीय घाटा GDP के 4.8% से घटकर 4.4% पर आ सकता है।
कर कटौती से घरेलू खपत बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
सरकार की उधारी की आवश्यकता 14.82 लाख करोड़ रुपये तक सीमित की जाएगी।
7. नया कर ढांचा: लाभ और चुनौतियाँ
लाभ:
मध्यम वर्ग को अधिक कर छूट से बचत बढ़ेगी।
व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होगा।
डिजिटल भुगतान और पारदर्शी लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा।
कृषि और ग्रामीण विकास में निवेश बढ़ेगा।
चुनौतियाँ:
सरकार के राजस्व में कमी हो सकती है, जिससे बजट घाटा बढ़ सकता है।
करदाताओं को नई कर प्रणाली को अपनाने में शुरुआती कठिनाइयाँ हो सकती हैं।
कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से सरकारी योजनाओं के लिए धन की कमी हो सकती है।
निष्कर्ष
फरवरी 2025 में घोषित नया कर ढांचा भारत की कर व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। इस सुधार का मुख्य उद्देश्य मध्यम वर्ग को राहत देना, व्यावसायिक विकास को गति देना और संपूर्ण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन कर कटौतियों से दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता प्रभावित न हो।
यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ वर्षों में ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना सकारात्मक प्रभाव डालते हैं और किस प्रकार नए व्यापारिक अवसरों को जन्म देते हैं।
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